( तर्ज - अगर हैं ग्यानको पाना ० )
सुधारो देह देवलको
उसीका मैल धो करके ।
बडा कचरा पडा अंदर ,
निकालो यार ! भरभरके || टेक ||
कहीं आशा औ मनशाका ,
घनाना गंदगी मारे ।
फँसायी जान कचरेंमें ,
निकलवादो सफा करके || १ ||
कहीं है कामकी काँटी ,
कहीं हैं क्रोधके भाले ।
कहीं मद - लोभकी चीली ,
लगी है डाल खोकरके || २ ||
कहीं अग्यानकी आँधी ,
बुराई छागयी अंदर ।
उजारा है नहीं कुछभी ,
फँसी है जान डरडरके || ३ ||
कहे तुकड्या प्रभू - सुमरणकी
झाडू हाथमें लेलो ।
करो तन साफ अंदरसे ,
उजारा ग्यान भरभरके || ४ ||
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